लेखनी कहानी -26-Nov-2022 :- सुनहरे कंगन
सुनहरे कंगन:-
आज विमला को एक ज़रूरी कार्य हेतु कहीं बाहर जाना था। इसीलिए वह जल्दी- जल्दी अपने घर का सारा काम निपटा कर तैयार होने लगी। तभी उसके पतिदेव ने पीछे से आकर उसकी आंखे बंद कर दी। उसके पूछने पर उसे एक छोटा- सा बक्सा थमा दिया। उसने उनका हाथ जब अपनी आंखों पर से हटाया तो पाया इतना सुंदर बक्सा। उसने पतिदेव से पूछा- " यह क्या है? इसमें क्या है?" पतिदेव ने मुस्कुरा कर कहा - " तुम स्वयं ही देख लो।" जब विमला ने वह नन्हा- सा बक्सा खोला तो आश्चर्य से बोली:- "मेरे मन पसंद सोने के कंगन ! कहां से लाए आप? कैसे मिले आपको? किसने दिए? कब दिए?" पतिदेव ने उसे शांत करते हुए कहा - "अरे बाबा इतने प्रश्न एक साथ पूछोगी क्या? थोड़ा सांस भी ले लो। तुम्हें यह कंगन बहुत पसंद थे ना!?! कल हमारे ऑफिस में एक प्रतियोगिता हुई थी। जिसमें मैं विजेता हुआ। उससे कुछ रकम मुझे मिली थी। कुछ मेरे पास जमा पूंजी थी। वो सब मिलकर मैं तुम्हारे लिए ये कंगन ले कर आया हूं। क्या तुम्हें पसंद नहीं आए?"
विमला ने कहा आप इतने प्रेम से मेरे लिए लाए हैं। वो भी मेरे पसंद के कंगन, तो मुझे पसंद क्यों नहीं आयेंगे भला।" कहते हुए उसकी आंखों में खुशी के आंसू छलछला गए। आज तक उसके पति ने उसकी हर ख्वाहिश पूरी की। उसके मांगने से पहले ही वह उसे हर वो वस्तु लाकर देता जो उसके मन में चाहत होती थी। परंतु, आज की खुशी उसके लिए सबसे बड़ी खुशियों में से एक थी। वह स्वयं को बेहद भाग्यशाली महसूस कर रही थी।
स्वरचित एवम मौलिक रचना
~स्वाति शर्मा (भूमि
Babita patel
24-Aug-2023 06:38 AM
amazing
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Swati Sharma
28-Mar-2024 10:35 PM
thanks
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madhura
17-Aug-2023 04:59 AM
awesome
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Swati Sharma
28-Mar-2024 10:35 PM
thanks
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आँचल सोनी 'हिया'
05-Jan-2023 05:07 PM
Good
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Swati Sharma
05-Jan-2023 11:31 PM
Thanks
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